जिस रोज था मुफलिसी का ,आना- जाना घर पर मेरे ,
जख्म को एक बिठाया भी नही दूसरा पाता रहा .... आता रहा ,
यकीं है मुझको ,उस रोज फरिश्तों ने भी पता मेरे घर का बहुत पूछा होगा !